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िवर रोग क्या होता है

I. परिचय

लिवर, हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो हजारों कार्यों का संचालन करता है। इसका मुख्य कार्य है शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना और पोषण को सहेजना है। लेकिन कई बार यह लिवर अपने स्वास्थ्य के कारण परेशान हो सकता है, जिसे हम लिवर रोग कहते हैं।

लिवर रोग का मतलब है जब यह अपने सामान्य कार्यों में कमी आने लगता है और शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, और इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि सही समय पर उपचार किया जा सके।

 

मनुष्य का िवर क्यों खराब होता है

कारण:

  1. अव्यवस्थित आहार: अधिक तला, मिठा, और प्रोसेस्ड फूड का सेवन लीवर के लिए हानिकारक हो सकता है और फैटी लीवर रोग का कारण बन सकता है।
  2. अत्यधिक शराब का सेवन: अधिक मात्रा में शराब लीवर को स्थायी रूप से क्षति पहुंचा सकता है और सिरोसिस जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है।
  3. अस्वस्थ जीवनशैली: बैठे रहना, कम शारीरिक गतिविधि, और तंबाकू सेवन का अभ्यास लीवर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
  4. बाह्यिक रूप से विषाक्त पदार्थों का संपर्क: विषाक्त पदार्थों से संपर्क लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है, जैसे कि जहरीले रसायन, और अन्य हानिकारक तत्व।
  5. आपसी बीमारियों का संबंध: हेपेटाइटिस और अन्य आपसी बीमारियाँ भी लीवर को प्रभावित कर सकती हैं।
  6. जीनेटिक कारण: कई बार लीवर की खराबी जीनेटिक कारणों से भी हो सकती है।

लीवर की सुरक्षा के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम करें, ताकि यह सही से काम कर सके और हमें स्वस्थ रख सके।

 

I. लिवर रोग के शुरुआती लक्षण

लिवर हमारे शरीर का 'स्वच्छ कर्मचारी' है जो हमें स्वस्थ रखने का काम करता है। जब यह स्वास्थ्य की समस्याओं से दुखित हो जाता है, तो यह लिवर रोग कहलाता है।

  1. थकान: अगर आप बिना किसी वजह के बहुत थक जाते हैं, तो यह लिवर की समस्या का संकेत हो सकता है।
  2. पीलिया (जौंडिस): आंखों और त्वचा का पीला होना भी एक सामान्य लक्षण है, जिसे पीलिया कहा जाता है।
  3. पेट में दर्द: लिवर की कमजोरी से पेट में दर्द हो सकता है।
  4. खुजली: त्वचा में खुजली और लाल चकत्ते होना।
  5. उल्टी या उल्टी का आभास: अचानक उल्टी होना या उल्टी का आभास होना।
  6. बढ़ी हुई पेट की चर्बी: पेट का आकार बढ़ जाना और उसमें चर्बी जमा होना।
  7. वजन में कमी: अचानक वजन में कमी होना बिना किसी वजह के।
  8. बढ़ा हुआ आयरन: हेमोक्रोमेटोसिस के कारण आयरन की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे शरीर में आयरन का बहुत जमा होना शुरू हो सकता है।

 

लीवर खराब होने पर कौन कौन सी बीमारी होती है

लीवर, हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो विभिन्न कार्यों को संचालित करता है। यहां हम जानेंगे कि लीवर में कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती हैं:

  1. फैटी लीवर रोग: यह बीमारी तब होती है जब शराब की अधिक मात्रा, अधिक तल-मिठा खाना, और मोटापे के कारण लीवर में फैट जमा हो जाती है।
  2. हेपेटाइटिस: यह एक रोग है जिसमें लीवर में सूजन होती है, और यह विभिन्न प्रकार का होता है - A, B, C, D, और E।
  3. सिरोसिस: यह लीवर के ऊपरी तंतु में रुकावट के कारण होती है और धीरे-धीरे लीवर को क्षति पहुंचाती है।
  4. लीवर कैंसर: यह एक गंभीर बीमारी है जो लीवर के कोशिकाओं में बनने वाले कैंसर के कारण होती है।
  5. आल्कोहोलिक लीवर रोग: अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से यह बीमारी हो सकती है जिससे लीवर में क्षति होती है।
  6. लीवर इन्फेक्शन: बैक्टीरिया या वायरस के कारण होने वाले इन्फेक्शन भी लीवर को प्रभावित कर सकते हैं।
  7. हेमोक्रोमेटोसिस: यह बीमारी तब होती है जब शरीर में अधिक आयरन होता है और यह लीवर को प्रभावित करके इसमें जंग जमा करता है।

 

 

लिवर की जांच के लिए कौन से टेस्ट होते हैं

लिवर की स्वस्थता की जांच करवाना आमतौर पर नियमित रूप से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है। यहां हम जानेंगे कि लिवर की जांच के लिए कौन-कौन से टेस्ट हो सकते हैं

  1. SGOT और SGPT (लिवर एन्जाइम्स): ये टेस्ट लीवर के एन्जाइमों की मात्रा को मापते हैं और जांचते हैं कि क्या लीवर में कोई कमी है या नहीं।
  2. बिलीरुबिन टेस्ट: इस टेस्ट से पता चलता है कि क्या बिलीरुबिन का स्तर विशेष रूप से बढ़ गया है, जो पीलिया का एक सामान्य संकेत है।
  3. लीवर फ़ंक्शन टेस्ट: इसमें ब्लड सैंपल से लीवर की क्षमता की जांच की जाती है, जिसमें एल्ब्यूमिन, बिलीरुबिन, और शुगर की मात्रा मापी जाती है।
  4. लीवर इमेजिंग (सोनोग्राफी, कीएट स्कैन, एमआरआई): इन टेस्टों के माध्यम से लीवर की स्थिति, आकार, और संरचना की जांच की जा सकती है।
  5. वायरल हेपेटाइटिस सी टेस्ट: यह टेस्ट हेपेटाइटिस सी की जांच के लिए किया जाता है, जो लीवर को प्रभावित कर सकती है।
  6. लीवर बायोप्सी: इस टेस्ट के लिए एक छोटे से टुकड़े को लेकर इनमें जाँच की जाती है, जो लीवर की बीमारी की पुष्टि कर सकता है।
  7. CT और MRI स्कैन: इन इमेजिंग टेस्टों से लीवर की स्थिति की सटीक तस्वीरें मिलती हैं और किसी भी समस्या का पता लगाया जा सकता है।

 

 

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कौन सा फल खाए

  1. आमला: आमला लीवर के स्वस्थता को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है और इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, और फाइबर होता है।
  2. पपीता: पपीता एक बहुत अच्छा फल है जो लीवर को साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें पेपेन, विटामिन सी, और फाइबर होता है।
  3. नींबू: नींबू में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है, जिससे लीवर के निर्देशक तंतुओं को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।
  4. कीवी: कीवी भी एक फाइबर और विटामिन सी स्रोत है जो लीवर के स्वस्थता के लिए उपयुक्त हो सकता है।
  5. तरबूज: इसमें पानी, विटामिन्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो लीवर की साफी में मदद कर सकते हैं।
  6. शतावरी: शतावरी भी एक फायदेमंद औषधि है जो लीवर को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकती है।
  7. सेब: सेब में फाइबर होती है जो पाचन को सुधारने और लीवर की स्वस्थता को बनाए रखने में मदद कर सकती है।
  8. बेरीज़: स्ट्रॉबेरीज़, ब्लूबेरीज़, और रसभरी जैसे बेरीज़ लीवर की स्वस्थता के लिए लाभकारी हो सकती हैं, क्योंकि इनमें अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं।

इन फलों को नियमित रूप से खाना लीवर के स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सभी फलों का सेवन सही मात्रा में करना चाहिए I

 

लिवर के पेशेंट को क्या नहीं खाना चाहिए

लिवर की सेहत के लिए उचित आहार महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब कोई व्यक्ति लिवर की समस्या से गुजर रहा हो। इस समय कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करना वर्जित हो सकता है ताकि लीवर को सहारा मिले। यहां हम जानेंगे कि लिवर के पेशेंट को कौन-कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए !

  1. अधिक तेल और चिकनी चीजें: ज्यादा मात्रा में तेलीय और चिकनी चीजों का सेवन करना लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है।
  2. अधिक चीनी: अधिक मात्रा में चीनी खाना लिवर के लिए ठीक नहीं होता है, क्योंकि यह फैट इन्फिल्ट्रेशन को बढ़ा सकता है।
  3. ड्रिंक्स: ड्रिंक्स अधिक शुगर और कैफीन का स्रोत हो सकते हैं, जो लीवर के लिए सही नहीं होता।
  4. अल्कोहल: अल्कोहल लीवर के लिए सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है, और लिवर रोग के मरीजों को इससे दूर रहना चाहिए।
  5. अधिक नमक: अधिक मात्रा में नमक का सेवन भी लीवर के लिए बुरा हो सकता है, क्योंकि यह रक्तचाप को बढ़ा सकता है।
  6. कोलेस्ट्रॉल युक्त आहार: ज्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना लीवर के लिए नुकसानकारक हो सकता है।

 

लीवर रोग के बचाव के लिए क्या करें

लीवर रोग को बचाव में लेने के लिए कुछ सावधानियां और स्वस्थ आदतें अपनाना महत्वपूर्ण हैं। यहां हम लीवर की सेहत को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव प्रदान करते हैं:

I. स्वस्थ आहार

  1. हरी भरी सब्जियां और फल: हरी भरी सब्जियां और फल लीवर के लिए फायदेमंद होते हैं और इसकी सेहत को सुरक्षित रखते हैं।
  2. पूराने अनाज: गेहूं, चावल, और अन्य पूराने अनाज लीवर के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और स्वस्थ आहार का हिस्सा बनाए रखते हैं।
  3. फिश और लीन प्रोटीन: मछली और लीन प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना लीवर के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  4. कम तेल और चीनी: अधिक मात्रा में तेल और चीनी से बचें, क्योंकि यह लीवर के लिए हानिकारक हो सकता है।

II. पर्याप्त पानी पीना

  1. पानी की मात्रा: पर्याप्त पानी पीना लीवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में सहारा प्रदान करता है।

III. स्वस्थ जीवनशैली

  1. नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम करना लीवर की क्षमता को बढ़ा सकता है और सेहत को सुरक्षित बनाए रख सकता है।
  2. अल्कोहल से बचें: अल्कोहोल का परिहार करना लीवर के लिए सबसे बड़ा बचाव है।
  3. धूम्रपान करें: धूम्रपान से बचना भी लीवर के लिए महत्वपूर्ण है।

IV. नियमित चेकअप

  1. नियमित चेकअप: नियमित चेकअप करवाना लीवर की सेहत को निगरानी में रखने में मदद करता है और समस्याओं को पहचानने में सहारा प्रदान करता है।

लीवर की सेहत को सुरक्षित रखने के लिए उपरोक्त सुझावों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह भी ध्यान रखें कि डॉक्टर की सलाह बिना किसी भी परिवर्तन को शुरू करने से पहले होनी चाहिए।

आयुर्वेद अनुसार लीवर रोग उपचार

आयुर्वेद में लीवर को यकृत कहा गया हैं। लीवर की बीमारियों में वृद्धि का एक कारण पित्त दोष हैं व अन्य करण रसायनों और अन्य पर्यावरण प्रदूषकों के साथ हमारा लगातार संपर्क भी है। इसके अलावा, दवाइयों की खपत में भी बहुत वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप लीवर को खतरा है।

-चूंकि पित्त दोष अधिक प्रभावित होता है, इसलिए विरेचन यहां सबसे अधिक लाभकारी उपचार प्रक्रिया है

-विरेचन या हल्के से मध्यम रेचक

-जड़ी-बूटियों का उपयोग

 

जब भी आवश्यकता होती है, अन्य शुद्धिकरण प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, हेपेटाइटिस की गंभीर स्थिति में नास्य या नाक से दवा देना सफलतापूर्वक प्रयोग किया जाता है।

ऐसी शुद्धिकरण प्रक्रियाओं के बाद जड़ी-बूटियों से युक्त विभिन्न योगों का उपयोग किया जाता है।

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