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पाइल्स क्या है?

पाइल्स, जिसे हेमरॉइड्स भी कहा जाता है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा क्षेत्र में मौजूद रक्तवाहिका की नसों में सूजन और इनमें खून भरने के कारण होते हैं। ये विशेषकर तब होते हैं जब गुदा के आस-पास की नसें या गुदा की वृद्धि होती हैं।

इसके कारणों में से एक मुख्य कारण कब्ज़ है, जिससे रक्तवाहिका में दबाव बढ़ता है। बढ़ा हुआ बजन, ज्यादा बैठकर काम करना, लंबे समय तक खड़ा रहना, और प्रेगनेंसी भी इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। यह गंभीर समस्या हो सकती है और अगर सही समय पर उपचार नहीं किया गया तो यह और भी बढ़ सकती है।

 

पाइल्स की शुरुआत कैसे होती है

  • रक्तवाहिका में दबाव बढ़ना: कब्ज़, बढ़ा हुआ बजन, या बार-बार बैठकर काम करने से रक्तवाहिका में दबाव बढ़ सकता है और यह पाइल्स की शुरुआत का कारण बनता है।
  • गुदा क्षेत्र में चोट लगना: अगर गुदा क्षेत्र में चोट लगती है, तो यह इस समस्या का कारण बन सकती है।
  • गर्भावस्था के दौरान दबाव: महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ बजन और गुदा क्षेत्र में बढ़ा हुआ दबाव इस समस्या का कारण बन सकता है।
  • आयुर्वेदिक परंपरा में असंतुलन: आयुर्वेद में अनित्य जीवनशैली, अजीर्ण, और गर्भावस्था को पाइल्स की शुरुआत के कारण माना गया है।

 

पाइल्स के प्रकार :

  1. खुनी बवासीर: इस प्रकार की बवासीर में मल आने पर खून का सामान्यत: समावेश होता है। गुदा क्षेत्र में दर्द, सूजन और खुजली की समस्याएं हो सकती हैं।
  2. अंदरूनी बवासीर (शिरषासन बवासीर): इस प्रकार में बवासीर गुदा के अंदर होती है और मल आने पर खून के साथ होती है। इससे गुदा क्षेत्र में दर्द और सूजन हो सकती है।
  3. बाह्य बवासीर: इस प्रकार की बवासीर गुदा के बाहर होती है और इसमें गुदा क्षेत्र की चमड़ी में सूजन और खुजली हो सकती है।
  4. सामान्य बवासीर: यह बवासीर का सामान्य प्रकार है जो गुदा क्षेत्र में असुविधा और दर्द का कारण बन सकती है।
  5. शुष्क बवासीर: इस प्रकार में गुदा क्षेत्र में खुजली और दर्द हो सकता है, लेकिन खून का आवर्तन नहीं होता है।

पाइल्स को चार ग्रेड में बाँटा जा सकता है:

ग्रेड 1: इसमें छोटी सी वृद्धि होती है, जिससे तकलीफ़ मिनिमम होती है और इसे आमतौर पर घरेलू उपचार से ठीक किया जा सकता है।

ग्रेड 2: इसमें वृद्धि बड़ी होती है और बवासीर बाहर निकल सकती है, जिससे व्यक्ति को तकलीफ़ हो सकती है, लेकिन सही उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है।

ग्रेड 3: इसमें बवासीर बाहर रहती है और इसका इलाज कठिन हो सकता है।

ग्रेड 4: इसमें बहुत बड़ी वृद्धि होती है और बवासीर बाहर निकलती रहती है, जिससे व्यक्ति को बहुत तकलीफ़ हो सकती है और तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

 

 

पाइल्स होने के क्या कारण है ?

  • कब्ज़ (कॉन्स्टिपेशन): यदि व्यक्ति कई समय तक कब्ज़ से पीड़ित रहता है, तो इससे पाइल्स होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • बढ़ा हुआ वजन(ओबेसिटी): अधिक वजन वाले व्यक्तियों में भी पाइल्स होने का आधिक खतरा हो सकता है।
  • प्रेगनेंसी: गर्भावस्था में महिलाओं में शरीर के नीचले हिस्से पर दबाव बढ़ने के कारण पाइल्स हो सकते हैं।
  • बैठकर काम करना (प्रोलॉङ्ग सिटिंग): लंबे समय तक बैठकर काम करने से रक्त प्रवाह में कमी हो सकती है, जिससे हेमरॉयड्स होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • यहाँ तक कि अधिक समय तक खड़ा रहना (प्रोलॉङग् स्टैंडिंग): यह भी एक कारण हो सकता है।
  • आयु (एज): बढ़ती आयु के साथ, गुदा क्षेत्र की कमजोरी बढ़ सकती है, जिससे पाइल्स होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • आनुवांछिक कारण (जेनेटिक फैक्टर्स): परिवार में किसी को पाइल्स होने की संभावना होने पर, व्यक्ति को भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

यदि आपको इसके बारे में और जानकारी चाहिए या किसी विशेष समस्या का सामना कर रहे हैं, तो कृपया एक चिकित्सक से सलाह लें।

 

पाइल्स के लक्षण:

पाइल्स (हेमरॉयड्स) के लक्षण संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जो आपके दिनचर्या में तकलीफदेह हो सकती हैं। यहां इस समस्या के और लक्षणों का विवेचन किया गया है:

  • खून की कमी:

गुदा क्षेत्र से खून के मिश्रण के कारण बैठने पर खून के पत्तों का दृश्य हो सकता है। यह लक्षण पाइल्स की एक प्रमुख पहचान हो सकती है, जिसे रक्तवाहिका में सूजन के कारण होता है।

  • खुजली और जलन:

गुदा क्षेत्र में खुजली और जलन की समस्या हो सकती है। यह लक्षण अक्सर इस समस्या के साथ आता है और रक्तवाहिका में सूजन के कारण हो सकता है।

  • गाँठें :

गुदा क्षेत्र में गाँठें महसूस हो सकती हैं। यह लक्षण पीड़ित क्षेत्र में रक्तवाहिका में सूजन और गुदा की वृद्धि के कारण हो सकता है।

  • बाहरी गुदा में मस्सा:

बाहरी गुदा में सूजन या मस्सा की एक प्रकारी हो सकती है। यह लक्षण गुदा क्षेत्र की समस्याओं को दर्शाता है जो पाइल्स के साथ हो सकती हैं।

  • अन्य लक्षण:
    • बदबू : गुदा क्षेत्र में अनुपयोगी बदबू की समस्या हो सकती है।
    • मलाशय से संबंधित तकलीफें: आपको मलाशय से संबंधित तकलीफें महसूस हो सकती हैं जैसे कि दर्द या असहीत महसूस होना।

 

 

पाइल्स में क्या नहीं खाना चाहिए

पाइल्स के रोगी को अपने आहार में ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि समस्या में सुधार हो सके और दर्द को कम किया जा सके। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को पाइल्स के समय नहीं खाना चाहिए:

  • मिर्च, मसाले, और तीखे खाद्य: इनसे गुदा क्षेत्र में जलन हो सकती है, जिससे पाइल्स में तकलीफ बढ़ सकती है।
  • बहुत तेज और कड़ी चीजें: अधिक तेजी से आहार निगलने से गुदा क्षेत्र में दर्द हो सकता है और पाइल्स में समस्या बढ़ सकती है।
  • स्पाइसी और खट्टी चीजें: तीखे और खट्टे खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये गुदा क्षेत्र में और तकलीफ पैदा कर सकते हैं।
  • अधिक मसाला और नमक: अधिक मसाला और नमक से बचें, क्योंकि ये रक्तवाहिका में सूजन को बढ़ा सकते हैं।
  • पकाया हुआ और तला हुआ खाद्य: ज्यादा तेल और तला हुआ खाद्य पाइल्स की स्थिति को बिगाड़ सकता है, इसलिए इससे बचना चाहिए।
  • अधिक कॉफी और शराब: ज्यादा कॉफी और अल्कोहल से बचें, क्योंकि इनसे शरीर में तापमान बढ़ सकता है और पाइल्स की स्थिति को बिगाड़ सकता है।

 

पाइल्स कितने दिन तक रहता है ?

बवासीर (पाइल्स) की अवधि व्यक्ति की स्थिति, उपचार, और उनकी जीवनशैली पर निर्भर करती है। बवासीर आमतौर पर एक समय सीमा में ठीक हो सकता है, लेकिन इसकी दौरानी अवधि व्यक्ति के इलाज पर निर्भर करती है।

कुछ लोगों को बवासीर एक बार होती है और ठीक हो जाती है, जबकि किसी को इससे बार-बार समस्या हो सकती है। उपचार के बाद बवासीर की स्थिति में सुधार हो सकता है, लेकिन यह स्थिति किसी भी स्थिति में निर्भर करती है।

सामान्यत: बवासीर का सही उपचार के साथ इलाज कराया जा सकता है और यह कुछ सप्ताहों तक हो सकता है, लेकिन इसकी स्थिति की सुधार का समय व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है।

बवासीर के लिए सही उपचार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के बाद भी, लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि वे जीवनशैली में सुधार करें ताकि यह समस्या दोबारा न हो।

 

 

 

 

पाइल्स को जड़ से खत्म करने के उपाय :

पाइल्स को ठीक करने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:

  • फाइबर युक्त आहार: फल, सब्जियां, और  अनाजों में अधिक फाइबर होना चाहिए, जो कब्ज़ को कम करने में मदद कर सकता है।
  • हर दिन पानी पीना: प्रतिदिन पानी पीना शरीर को शुद्ध करने और कब्ज़ को दूर करने में मदद कर सकता है।
  • योग और व्यायाम: नियमित रूप से योग और अन्य व्यायाम करना रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद कर सकता है।
  • आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार: कई आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार जैसे कि त्रिफला, आमला, और घर के उपायों का इस्तेमाल करें।
  • स्वस्थ जीवनशैली: स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जैसे कि धूम्रपान और अधिक बैठकर काम करना से बचें।

 

पाइल्स का स्थायी इलाज आयुर्वेद में

पाइल्स का स्थायी इलाज आयुर्वेद में संभव है, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है सब्र और नियमितता। यहां कुछ आयुर्वेदिक उपाय हैं जो पाइल्स के इलाज में सहायक हो सकते हैं:

  • त्रिफला चूर्ण: त्रिफला गुदा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इसे रात को सोने से पहले गरम पानी के साथ लेना लाभकारी हो सकता है।
  • आमला: आमला में विटामिन सी का अधिक मात्रा में होता है, जो गुदा को मजबूती प्रदान कर सकता है। आमला का रस पीना फायदेमंद हो सकता है।
  • गुड़: गुड़ में आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान है। इसका सेवन गुदा को ठंडक पहुंचा सकता है और कब्ज़ को दूर कर सकता है।
  • घृतकुमारी रस: घृतकुमारी का रस पाइल्स के लिए उपयुक्त हो सकता है। इसे गुदा क्षेत्र पर लगाने से राहत मिल सकती है।
  • आयुर्वेदिक औषधियाँ: आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर आप विशेष आयुर्वेदिक दवाएं भी ले सकते हैं जो पाइल्स को ठीक करने में मदद कर सकती हैं।

   • आयुर्वेदिक चिकित्सा: सिट्ज़ बाथ, अभ्यंग, क्षार सूत्र

 

 

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