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 फिशर क्या है

फिशर एक छोटी सी दरार या कटाव है जो गुदा की परत में होती है, जिसे अंग्रेजी में "anal fissure" कहा जाता है। यह दरार उस स्थान पर होती है जहां से मल त्याग होता है, और यह आमतौर पर दर्द, खुजली, और मल त्याग के समय ब्लीडिंग के साथ आती है। गुदा में यह दर्द, खुजली, और ब्लीडिंग के कारण यह बीमारी व्यक्ति को काफी असुविधा पहुंचा सकती है।

 फिशर के प्रकार

एनल फिशर को दो प्रकार होते हैं - एक्यूट फिशर और क्रॉनिक फिशर।

  1. एक्यूट फिशर: यह फिशर वह होती है जो हाल ही में हुई होती है और आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाती है दरारें ताजगी से बारीक होती हैं। इसे आमतौर पर 6 हफ्तों के अंदर ठीक कर लिया जा सकता है।
  2. क्रॉनिक फिशर: यह फिशर गुदा की परत में गहरी दरारों के साथ होती है और इनमें अंदर या बाहर की ओर टिश्यू विकसित हो सकता है। इसे ठीक करने में अधिक समय लग सकता है क्रॉनिक फिशर एक अधिक स्थाई समस्या होती है  और इसका इलाज चिकित्सक की देखरेख में होता है।

 फिशर बीमारी क्यों होती है

  1. पाचन समस्याएं: कब्ज, पेट साफ नहीं होना, या अधिक गैस बनना भी फिशर का कारण बन सकता है।
  2. खुजली: गुदा में तेज खुजली और इसे खुजलाकर बिगाड़ने की क्रिया भी फिशर को बढ़ा सकती है।
  3. बैठकर रहना: बहुत देर तक बैठना या चलने में कमी भी गुदा में दबाव बढ़ा सकती है।
  4. स्टूल की समस्याएं: कठिन स्टूल के कारण गुदा में दरारें हो सकती हैं।
  5. आहार में कमजोरी: कम फाइबर वाले आहार का सेवन करना और पानी की कमी होना भी गुदा स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जिससे फिशर होने की संभावना बढ़ सकती है।
  6. गर्मी के मौसम में कम पानी पीना: गर्मी के मौसम में शरीर को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। कम पानी पीना गुदा क्षेत्र को सुखाने का कारण बन सकता है।
  7. गर्भावस्था और प्रसव: गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के समय गुदा क्षेत्र में दबाव बढ़ सकता है, जिससे फिशर होने की संभावना हो सकती है।
  8. पूर्व गुदा संबंधित चिकित्सा समस्याएं: गुदा से संबंधित अन्य चिकित्सा समस्याएं, जैसे कि गुदा की भरी हुई शिरा और रक्त संबंधित समस्याएं, भी फिशर का कारण बन सकती हैं।

 

फिशर के लक्षण

  1. गुदा में दर्द: मल त्यागने के दौरान और उसके बाद गुदा में हल्का या तेज़ दर्द होता है, जो बढ़ सकता है।
  2. दर्द की लम्बी अवधि: मल त्याग के बाद गुदा में दर्द होता है, जो कई घंटों तक बना रह सकता है।
  3. रक्तस्राव: मल त्यागने के बाद गुदा में रक्तस्राव हो सकता है, जिससे मल में ब्लड दिख सकता है।
  4. दरारें या गांठें: गुदा के आसपास की त्वचा में दरारें या छोटी सी गांठें दिख सकती हैं।
  5. जलन और खुजली: गुदा में जलन और खुजली की समस्या हो सकती है।
  6. बाहरी दृष्टि में दर्द: बैठते या चलते समय गुदा क्षेत्र में बाहरी दृष्टि में दर्द हो सकता है।
  7. मल त्यागने की दिक्कत: फिशर होने पर मल त्यागना कठिन हो सकता है और इससे मल में दर्द बढ़ सकता है। यह दर्द किसी भी व्यक्ति को चिढ़ा सकता है और उन्हें मल त्यागने से ही डर लगने लगता है।
  8. सामाजिक प्रभाव: फिशर के कारण व्यक्ति सामाजिक रूप से भी प्रभावित हो सकता है, क्योंकि यह उन्हें चलने, बैठने, और मल त्यागने में तकलीफ पहुंचा सकती है।
  9. जीवनशैली में परिवर्तन: फिशर के होने पर व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में भी परिवर्तन करना पड़ सकता है, जैसे कि सही आहार, पानी की पर्याप्त मात्रा में पीना, और नियमित व्यायाम करना।

 

 

 


फिशर को ठीक होने में कितना समय लगता है

फिशर को ठीक होने में समय व्यक्ति के स्वास्थ्य स्तर, बीमारी की गंभीरता, और उपचार के प्रकार पर निर्भर करता है। सामान्यतः, एक्यूट फिशर जो हाल ही में हुआ है, वह थोड़े ही समय में ठीक हो सकता है, जबकि क्रॉनिक फिशर जो दीर्घकाल से है, उसे ठीक करने में और समय लग सकता है।

सामान्यतः, एक्यूट फिशर को 1-2 हफ्तों में ठीक किया जा सकता है, अगर उचित उपचार और जीवनशैली में परिवर्तन किया जाए। क्रॉनिक फिशर को ठीक करने में समय अधिक हो सकता है, और यह व्यक्ति के स्वास्थ्य के स्तर पर भी निर्भर करता है।

उपचार के साथ-साथ, सही आहार, पानी की पर्याप्त मात्रा में पीना, और योग्य व्यायाम का अभ्यास करना फिशर को ठीक करने में मदद कर सकता है और इसमें समय कम कर सकता है। फिर भी, सबसे अच्छा है कि व्यक्ति अपने चिकित्सक से उपचार की योजना बनाएं और सुनें।

 

 

फिशर को जड़ से खत्म कैसे करें

  1. उचित आहार: अपने आहार में फाइबर युक्त आहारों को शामिल करें जैसे कि फल, सब्जियाँ, दाल, और पूर्ण अनाज। फाइबर युक्त आहार से मल की संरचना सही होती है और फिशर की स्थिति में सुधार हो सकता है।
  2. पानी की पर्याप्त मात्रा में पीना: पर्याप्त मात्रा में पानी पिये ये फिशर के इलाज में मदद कर सकता है।
  3. सही बैठने की तकनीकें: बैठने के समय सीधे पीठ के साथ बैठें और यह सुनिश्चित करें कि आपका वजन बराबरी रहता है। इससे गुदा क्षेत्र पर दबाव कम होता है।
  4. स्वस्थ जीवनशैली: नियमित व्यायाम करें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, और तनाव को कम करने के लिए प्रयास करें।
  5. योगासन और कपालभाती प्राणायाम: कुछ योगासन और प्राणायाम जैसे कि मलासन, भुजंगासन, और कपालभाती प्राणायाम भी फिशर की स्थिति में सुधार कर सकते हैं।
  6. औषधियाँ: चिकित्सक की सलाह पर कुछ दवाएं भी ली जा सकती हैं जो फिशर के इलाज में मदद कर सकती हैं।
  7. सर्जरी: अगर फिशर गंभीर है और उपरोक्त उपायों से ठीक नहीं हो रहा है, तो चिकित्सक से सलाह लेकर सर्जरी की विचारणा करें।
  8. डॉक्टर की सलाह: यदि दर्द या समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से सलाह लें और उनके द्वारा दी गई दवाओं और उपायों का पालन करें।

 

 

फिशर के लिए आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में फिशर की सुझाई जाने वाली दवा: फिशर की अचूक दवा

  1. अर्शकल्प वटी: इसमें जड़ी-बूटियों का संयोजन होता है जो फिशर को ठीक करने में मदद कर सकता है।
  2. अर्शहर चूर्ण: इसे मल त्यागने के बाद स्थानीय रूप से लागू किया जा सकता है ताकि दर्द को कम किया जा सके।
  3. यष्टिमधु टैबलेट्स: इसमें हरितकी, अमलकी, और बूटी होती हैं जो मल को मुलायम बनाए रख सकती हैं।
  4. त्रिफला गुग्गुल: यह मल संबंधी समस्याओं को सुधारने में मदद कर सकता है और फिशर को ठीक करने में सहायक हो सकता है।

इन दवाओं का उपयोग करने से पहले, डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है। डॉक्टर आपकी स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और सबसे उपयुक्त इलाज का सुझाव देंगे।

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