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िस्टुला क्या है: फिस्टुला मीनिंग

फिस्टुला, जिसे भगंदर भी कहा जाता है, एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें दो जगहों के बीच एक नाली बन जाता है। यह नाली सामान्यत: त्वचा के अंदर या उसके आसपास बनता है और अन्य स्थान से बाहर निकलता है। फिस्टुला अक्सर गुदा क्षेत्र में होती है, लेकिन यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।

 फिस्टुला होने के कारण क्या हैं ?

निम्नलिखित वाक्यो से जानेंगे फिस्टुला क्यो होता है। फिस्टुला के होने के कई कारण हो सकते हैं:

  1. गुदा एब्सेस (फोड़ा): गुदा क्षेत्र में होने वाले एब्सेस (फोड़े) का फूटना और इससे इंफेक्शन होना एक मुख्य कारण हो सकता है.
  2. शल्यचिकित्सा: किसी शल्यक्रिया के बाद या गुदा क्षेत्र से संबंधित अन्य सर्जरी के प्रक्रियाएँ फिस्टुला का कारण बन सकती हैं.
  3. गुदा में अल्सर: गुदा में अल्सर होना भी फिस्टुला का कारण बन सकता है.
  1. गुदा में इंफेक्शन: गुदा क्षेत्र में इंफेक्शन के विकास से भी फिस्टुला हो सकती है. यह इंफेक्शन गुदा में पुराने एब्सेस के कारण हो सकता है जो सही से ठीक नहीं हुए हों.
  1. रक्त कमी: रक्त की कमी होने पर भी फिस्टुला हो सकती है।
  2. आहार और जीवनशैली का प्रभाव: अस्वस्थ आहार और अशुद्ध जीवनशैली भी फिस्टुला का कारण बन सकते हैं। यह शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा को कमजोर कर सकता है और इंफेक्शन का संभावना बढ़ा सकता है।

 

फिस्टुला के लक्षण क्या हैं ?

फिस्टुला के होने पर व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

  1. गुदा क्षेत्र में दर्द: फिस्टुला के उपस्थित होने पर गुदा क्षेत्र में दर्द हो सकता है, जो बढ़ सकता है जब व्यक्ति बॉवेल्स के दौरान या बार-बार बैठता है।
  2. स्वाभाविक गुदा से अशुद्धता: फिस्टुला के मौजूद होने पर, सामान्यत: गुदा से अशुद्धता या मल निकल सकता है, जो बदबूदार हो सकता है।
  3. सूजन और इंफेक्शन: फिस्टुला के स्थान पर सूजन और इंफेक्शन का होना एक सामान्य लक्षण है, जिससे त्वचा लाल हो सकती है और गरम हो सकती है।
  4. स्वाभाविक गुदा से अशुद्धता: गुदा से अशुद्धता या मल का निकलना, जो बदबूदार हो सकता है, एक अन्य लक्षण हो सकता है।
  5. पेट की समस्याएं: कुछ व्यक्तियों को फिस्टुला के कारण पेट में समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि दर्द, सुलभाव से नहीं जाने वाली बॉवेल मूवमेंट्स, या दस्त।

 

 

क्या फिस्टुला एक प्रकार का कैंसर है ?

नहीं, फिस्टुला एक प्रकार का कैंसर नहीं होता है। फिस्टुला एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें दो जगहों के बीच में एक या एक से अधिक तंतु का गुज़रना शुरू हो जाता है, जिससे निर्मित रस या तरल पदार्थ निकल सकता है। यह सामान्यत: गुदा की समस्याएँ, गुदा में इन्फेक्शन या गुदा क्षेत्र में सूजन के कारण हो सकती हैं। फिस्टुला का इलाज चिकित्सक के परामर्श के आधार पर किया जाता है।

 

फिस्टुला कैंसर के लक्षण क्या है ?

फिस्टुला कैंसर का सीधा संबंध नहीं होता, क्योंकि फिस्टुला और कैंसर दो अलग-अलग मेडिकल स्थितियाँ हैं। इस स्थिति में, दो स्थानों के बीच में एक या एक से अधिक तंतु का गुज़रना शुरू हो जाता है, जिससे निर्मित रस या तरल पदार्थ बनता है और फिर यह निकल सकता है।कैंसर, दूसरी ओर, एक अव्यावसायिक बढ़ती हुई सेल की गंभीर बीमारी है जिसमें अनियमित रूप से बढ़ती हुई सेलें अनियंत्रित हो जाती हैं।

यदि आपको लगता है कि आपमें कैंसर के लक्षण हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। कैंसर के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं: वजन कम होना, अनुयायी थकान, बूँदें या गाढ़ा पसीना, बर्फबारी या अनैतिक रक्तस्राव, सूजन या गांठें, और बार-बार होने वाली बुढ़ापे की अपनी चीजों में बदलाव।

लेकिन फिस्टुला के लक्षण मुख्यतः गुदा क्षेत्र में दर्द, सूजन, गर्मी, और रक्त या पुस का निकलना हो सकता है। यदि ऐसे लक्षण होते हैं, तो भी तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।

फिस्टुला किस उम्र में होता है ?

फिस्टुला का उत्पन्न होना किसी भी उम्र में हो सकता है, और यह किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसका कारण आमतौर पर गुदा क्षेत्र में इंफेक्शन होता है,

यह समस्या किसी भी वयस्क, युवा, या बच्चे में हो सकती है, और इसमें व्यक्ति की जीवनशैली, आहार, और स्वास्थ्य के कई पहलुओं पर निर्भर कर सकती है।

फिस्टुला में क्या नहीं खाना और क्या खाना चाहिए ?

फिस्टुला के रोगियों को अपने आहार में कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए ताकि समस्या में सुधार हो सके।

क्या खाएं

  1. फाइबर युक्त आहार: फाइबर से भरपूर आहार खाना फायदेमंद हो सकता है। इससे पाचन सुधर सकता है और कब्ज की समस्या कम हो सकती है। फल, सब्जियां, और पूर्ण अनाज शामिल करें।
  2. प्रोटीन युक्त आहार: अच्छी मात्रा में प्रोटीन लेना महत्वपूर्ण है ताकि शरीर का मासपेशियों और ऊतकों का निर्माण हो सके। दूध, दही, और दालें शामिल करें।
  3. पौष्टिक तेलों का उपयोग: अच्छे गुणवत्ता वाले तेलों का उपयोग करें, जैसे कि जैतून का तेल या कोकोनट ऑयल, ताकि पाचन सुधारे और स्वस्थ तरीके से वजन बना रहे।
  4. अधिक पानी पीना: पर्याप्त पानी पीना शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है और कब्ज को भी कम कर सकता है।
  5. विटामिन और खनिजों का सेवन: आपके आहार में विभिन्न विटामिन और खनिजों को शामिल करें ताकि शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।

क्या न खाएं

  1. तीखे और मसालेदार खाना: तीखे और मसालेदार खाद्य से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पेट में जलन या उच्च रक्तचाप हो सकता है, जिससे फिस्टुला की स्थिति और बिगड़ सकती है।
  2. अल्कोहल और धूम्रपान: अल्कोहल और सिगरेट के सेवन बचना चाहिए, क्योंकि इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है जो शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
  3. मैदा युक्त खाद्य: मैडा युक्त आटा का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि इससे पाचन संबंधित समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
  4. जंक फूड और प्रोसेस्ड खाद्य सामग्री: जंक फूड और प्रोसेस्ड खाद्य सामग्री से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में तेल, चीनी, और अन्य अनुपयोगी तत्व हो सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

 

यदि फिस्टुला के रोगी इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो यह उनके स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है और उन्हें शीघ्र ठीक करने में मदद कर सकता है।

 

भारत में फिस्टुला का सबसे अच्छा इलाज क्या है ?

भारत में, फिस्टुला के इलाज के लिए विभिन्न प्रणालियों में विशेषज्ञता हैं, जिनमें आयुर्वेद भी शामिल हैं। जोकि फिस्टुला का स्थाई इलाज हैं।

फिस्टुला का आयुर्वेदिक इलाज:

  1. कब्ज का समाधान: आयुर्वेद में कब्ज को ठीक करने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और रसायनों का सुझाव दिया जा सकता है जो पाचन को सुधार सकते हैं और फिस्टुला की स्थिति में मदद कर सकते हैं।
  2. योग और प्राणायाम: आयुर्वेद में योग और प्राणायाम का अभ्यास करने का सुझाव दिया जा सकता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
  3. क्षार-सूत्र: क्षार सूत्र एक आयुर्वेदिक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसकी मदद से फिस्टुला का इलाज किया जाता है। इस इलाज के दौरान बड़ा जख्म नहीं बनता है और ना ही ज्यादा खून निकलता है।
  4. आहार में सुधार: आयुर्वेद में आपके आहार में सुधार करने का सुझाव दिया जाता है, ताकि आपकी पाचन शक्ति बढ़े और शरीर में संतुलितता बनी रहे.
  5. आयुर्वेदिक औषधियां: कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग फिस्टुला के इलाज में किया जा सकता है. आपके शल्यचिकित्सक या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें.

चिकित्सक से सलाह लेना हमेशा सबसे अच्छा होता है ताकि सही इलाज का चयन किया जा सके और समस्या का सही समाधान हो सके।

 

 

फिस्टुला के ऑपरेशन में कितना खर्च आता है ?

फिस्टुला के ऑपरेशन का खर्च विभिन्न कारणों पर निर्भर करता है, जैसे कि इलाज का स्थान, चिकित्सक की फीस, अस्पताल के खर्च, और रोगी की स्थिति की गंभीरता. देश और शहर के अनुसार भी खर्च में विभिन्नता हो सकती हैI

भारत में, फिस्टुला के ऑपरेशन का आमतौर पर खर्च आठ हजार से बारह हजार के बीच हो सकता है, लेकिन यह केवल एक आंकलन है और असली खर्च इससे कम या अधिक भी हो सकता है. इसमें अस्पताल के खर्च, चिकित्सक और स्टाफ की फीस, जांचों और उपचार की लागतें, और ऑपरेशन के बाद की देखभाल शामिल हो सकती हैंI

इसलिए, फिस्टुला के ऑपरेशन की आगे की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको अपने चिकित्सक से मिलकर चर्चा करनी चाहिए और उनसे आपके क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं का पता करना चाहिएI

 

क्या फिस्टुला सर्जरी (क्षारसूत्र) के बाद वापस सकता है ?

फिस्टुला सर्जरी के बाद फिस्टुला फिर बन सकती है, लेकिन यह कम होता है जब सर्जरी ठीक से होती है और व्यक्ति डॉक्टर की सलाहों का ठीक से पालन करता है।

फिस्टुला का इलाज सर्जरी से होता है, जिसमें डॉक्टर फिस्टुला के मुखों को सही ढंग से ठीक करता है। लेकिन, कभी-कभी, सर्जरी के बाद भी फिस्टुला दोबारा बन सकती है।

फिस्टुला सर्जरी के बाद, डॉक्टर आपको उचित देखभाल और दवाओं का सुझाव देगा ताकि आप सही तरीके से ठीक हो सकें। तो, अगर आपने फिस्टुला सर्जरी की है, तो डॉक्टर के सारे सुझावों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है।

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